प्रथम भाग — दिल्ली कॉरपोरेशन चुनाव 2017 और देश के भविष्य की दिशा…..
Vo Subah Kabhi To Ayegi.....B.D. Khambata
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इस बार विश्लेषण है भाजपा का —
दिल्ली एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके कॉरपोरेशन चुनाव में देश और प्रदेश शासन के कार्य बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित करेंगे। आम आदमी पार्टी के उदय के बाद यह छोटा सा प्रदेश अति महत्वपूर्ण हो गया है और यहाँ की राजनीति ही देश के भविष्य को परोक्ष – अपरोक्ष रूप से प्रभावित करेगी। चुनाव लगभग 10 महिने बाद होना है जो की पर्याप्त समय है राजनीतिक दलों के लिए अपने कार्यों में सुधार कर जनता से जुड़ने का। एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा निष्पक्ष विश्लेषण करने के साथ ही उपयोगी सुझाव भी दिए जा रहे हैं, जिसे यदि वे मानेंगे तो जनता का भला होने के साथ ही उनकी पार्टी भी भारी बहुमत से जीतेगी।
भाजपा का शासन केंद्र के साथ ही कॉरपोरेशन में भी है। लेकिन 2016 में हुए मध्यावधी कॉरपोरेशन चुनाव ने जनता का रूख स्पष्ट बता दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की योग्यता उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के चुनाव में निश्चय ही प्रभावशाली रही है और रहेगी, लेकिन दिल्ली ? दिल्ली के लिए यदि सफल चुनाव नीति नहीं बनाई गई तो भविष्य में यह पार्टी के क्रमशः पतन का कारण हो सकता है क्योंकि दिल्ली अब पूरे देश की जनता का आईना बनता जा रहा है। इस कटु सत्य को स्वीकारना होगा की ईमानदारी से लगातार प्रयास करने के बावजूद मोदी जी ने पिछले 2 वर्ष में ऐसा कोई चमत्कार नहीं कर दिखाया है जो जनता के मन को छू पाए। एक कारण अरविंदजी भी हैं जो छोटे से प्रदेश के मुख्य मंत्री होने के बावजूद लगातार मोदी जी के कद को छोटा करने में लगे हुए हैं।
यदि मोदीजी के सलाहकार होते गोविन्दाचार्यजी जैसे बुद्धिजीवी विचारक तो वे अवश्य उन्हें सलाह देते की इस देश में विकास करने और देश की जनता से जुड़ने के लिए आज भी गांधीजी के अर्थ शास्त्र को अपनाना होगा। वाजपेयी जी के साथ किसी मतभेद के कारण गोविन्दाचार्यजी गुमनामी के अंधेरे में खो गए। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए की वे भाजपा की सफलता के एक मजबूत आधार स्तम्भ रहे हैं। और उन जैसे ईमानदार स्पष्टवादी सलाहकार की भाजपा को आज बहुत ज्यादा आवश्यकता है।
केन्द्र के नियंत्रण में है दिल्ली की पुलिस जो लगातार आलोचनाओं का शिकार हो रही है । एक न्यायाधीश की टिप्पणी दिल को झकझोरने वाली है की जनता ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठाना पड़ेगी क्योंकि केंद्र और पुलिस इसमें असफल है। दिल्ली की जनता सब कुछ देख और सुन रही है। भाजपा किस मुंह से उत्तरप्रदेश चुनाव में कह पाएंगे की कानून व्यवस्था सुधारने के लिए पार्टी को वोट दें। वैसे भी भाजपा शासित पंजाब और मध्यप्रदेश में भी कानून व्यवस्था का स्तर आलोचनात्मक रहा है। क्या जनता इतनी मुर्ख है की उसे केंद्र शासन के अधीनस्थ दिल्ली पुलिस की कानून व्यवस्था का पता नहीं है ? भाजपा यदि दिल्ली ही नहीं पुरे देश में सुशासन की योग्यता दिखाकर जनता को प्रभावित करना चाहता है तो उसने अपनी पूरी ताकत इसमें झोंक देना चाहिए और सबसे पहले दिल्ली की पुलिस को देश की सबसे श्रेष्ठ पुलिस बनाना चाहिए। एक ऐसी व्यवस्था जो जनता के प्रति जिम्मेदार एवं संवेदनशील हो। वैसे भी राजनितिक दलों का काम ही है अधिकारीयों के कार्य पर निगरानी रखना। परिणाम दे सकें ऐसे योग्य कार्यकर्ताओ की समितियां बनाकर उन्हें अपने अपने क्षेत्र में पुलिस पर निगरानी रखने की जवाबदारी दें। इन समितियों में केवल उन्हें सदस्य बनायें जो दो महिने के अल्प समय में दिल्ली पुलिस को देश की सबसे श्रेष्ठ पुलिस बनाने का चैलेन्ज स्वीकार करें । ऐसे योग्य व्यक्तियों की भाजपा पार्टी में कोई कमी नहीं हैं। उन्हें आगे लाकर जिम्मेदारी के साथ ही कार्य करने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं भी दी जाये। फिर देखिये की पूरे देश में भाजपा की कितनी प्रशंसा होती है।
कॉरपोरेशन में भी वर्चस्व है भाजपा का। लेकिन उसके कार्य से भी जनता खुश नहीं है। पहले की बात अलग थी लेकिन अब अरविन्दजी ने जनता को बहुत कुछ सीखा दिया है, उनकी इच्छाओं को जगा दिया है । अब नेताओं ने जनता को मुर्ख समझने की गलती नहीं करते हुए उनके प्रति ज्यादा जिम्मेदार होना पड़ेगा। एक ओर अरविन्द जी हैं जो लगातार भाजपा कारपोरेशन को भ्रष्ट सिद्ध करने में लगे हुए हैं और जनता भी उनकी बात पर विश्वास करने लगी है वहीँ दूसरी और भाजपा अभी भी हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं की मध्यावधी चुनाव में जीते हुए आम आदमी पार्टी के 5 कॉरपोरेटर 10 महिनों में इतना सारा काम करके दिखा देंगे की जनता की निगाह में भाजपा और भी पिछड़ जाएगी। प्रचार तंत्र में भी अब बहुत बदलाव आ गया है और उसमें भी आम आदमी पार्टी के सामने भाजपा नहीं टिक पा रही है। इन परिस्थितियों को देखते हुए यदि भाजपा ने तुरंत बदलाव के लिए युद्ध स्तर पर कार्य नहीं किया तो चुनाव परिणाम की कल्पना की जा सकती है।
चुनाव जीतने के लिए नेता कई शार्ट कट भी अपनाते रहे हैं लेकिन अब दिल्ली में इनका ज्यादा फायदा होने में संदेह है। फिर भी एक शार्ट कट का सुझाव अवश्य देना चाहेंगे। यदि मोदी जी अपने व्यस्त समय में से थोड़ा सा समय निकालकर अचानक गरीब बस्तियों में पहुँचकर वहां के निवासियों से समस्याओं बाबद चर्चा करने का अभियान चलाएं तो परिणाम आश्चर्यजनक होगा और पूरे देश में एक सकारात्मक सन्देश जायेगा। इस समय तो लोग यह मानने लगे हैं की हमारे प्रधानमंत्री जी देश की समस्याओं को भगवान भरोसे छोड़कर विदेश नीति को संवारने में मग्न हैं। और यह तो आप अच्छी तरह जानते ही हैं विदेश में हुई वाह वाही वोट में नहीं बदला करती। अगले बार दूसरे भाग में पढ़ें विश्लेषण आम आदमी पार्टी….
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