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आम आदमी पार्टी में विधायक उम्मीदवारों का चुनाव प्रारंभ

Vo Subah Kabhi To Ayegi.....B.D. Khambata
Vo Subah Kabhi To Ayegi.....B.D. Khambata
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आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा के चुनावों में खड़े करने के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है और यह देश के इतिहास में पहली बार है जब इसमें कार्यकर्ताओं और आम जनता की सक्रिय भागीदारी रहेगी. यही है लोकतंत्र का सही स्वरुप जिसमें जनता को अपने अधिकारों (और कर्तव्यों) के लिए जाग्रत किया जाता है और हर कार्य में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाती है. पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए आम आदमी पार्टी की वेब साईट देख सकते हैं और यदि स्वयं को आम आदमी पार्टी की विचारधारा के अनुरूप व्यवस्था परिवर्तन के / आजादी की दूसरी लड़ाई के योग्य पाते हैं, आपकी छबि आम जनता के बीच अच्छी है और आप चुनाव जीत सकते हैं तो तुरंत फार्म भरें. आज देश को अच्छे लोगों की जरुरत है. में जानता हूँ की ऐसे लोग राजनीती को पसंद नहीं करते लेकिन यह तो समाज सेवा का ही कार्य है जिसके द्वारा देश में फैली गंदगी को साफ़ किया जाना है. ऐसे लोगों तक मेरा यह ब्लॉग/विचार पहुंचाएं. अरविन्दजी ने भी ऐसे लोगों को कहा है और में भी अनुरोध करता हूँ की वे आगे आयें वर्ना हमेशा की तरह जब अच्छा विकल्प ही नहीं होगा तो पद लोलुप स्वार्थी लोग ही चुन लिए जायेंगे. आम जनता परिवर्तन चाहती है लेकिन उसे अच्छे लोग तो मिलें. एक बात और, मेंने संगठन में अपने साथियों से भी कहा था की यदि वे स्वयं को योग्य मानते हों तो पद से त्यागपत्र देकर चुनाव प्रक्रिया में उतरें लेकिन उन सभी ने संगठन का कार्य करना ही उचित माना. इन्ही निःस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे अपने साथियों के बल पर में विश्वास दिलाता हूँ की यदि योग्य इमानदार उम्मीदवार मिला तो हम उसे रिकॉर्ड मतों से विजयश्री दिलाएंगे.
किसे योग्य उम्मीदवार माना जाये? आम आदमी की पार्टी है यह अतः वह आम आदमी ही लगना चाहिए, कोई नेता नहीं क्योंकि मेंने देखा है की जनता की आँखों में नेताओं के लिए बहुत ज्यादा नफरत भरी हुई है. उन्हें नेताओं पर थोडा भी भरोसा नहीं रहा है. यदि चुनाव में एक साफ़ सुथरी छबि वाले इमानदार आम आदमी को ही उतारा जाए तो वह मंजे हुवे नेता से ज्यादा सफल सिद्ध होगा. जरुरी नहीं की वह अच्छा वक्ता हो, जो भी वह बोले वह ह्रदय से निकल रहा हो.चहरे पर अपने पन की भावना झलकती हो. कार्यकर्ताओं और आम जनता को अपना परिवार मानता हो. उनकी समस्याओं को बड़े धेर्य एवं गंभीरता से सुनता हो. घमंड और लालच से जो दूर रह सके. यदि ज्यादा अनुभवी नहीं होगा तो भी चलेगा क्योंकि पुरे विधानसभा की जनता उसे सिखाने के लिए तैयार है. उसे जिताने की जवाबदारी संगठन की या सच कहें तो जनता की ही होगी. मेरी खोज जारी है जिसमे आप भी सहयोग करें. धन्यवाद.

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