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आम आदम पार्टी से दिल्ली कितनी दूर है यह सवाल जनता और मीडिया के बीच उठ रहा है. चूँकि में समाज सेवा से जुडा रहा हूँ और समाज सेवा का कार्य मानते हुए ही आम आदमी पार्टी में अपनी सेवा दे रहा हूँ. अतः बिना किसी पक्षपात के सही जानकारी दे सकता हूँ.
मेंने देखा है की आम जनता में व्यवस्था परिवर्तन की चाहत है. उन्हें सरल शब्दों में आम आदमी पार्टी के बारे में बताने पर वे पार्टी से जुड़ते जा रहे हैं. कभी-कभी तो ऐसा लगता है मानों पार्टी की ओर हवा चल गई है. आवश्यकता है केवल उन्हें वोट में बदलने की. इसका श्रेय अरविन्दजी और उनके साथियों को देना चाहिये जिन्होंने मेनेजमेंट सिद्धांतों के अनुरूप एक निश्चित कार्ययोजना द्वारा यह सफलता पा ली है. लेकिन यदि कोई कमी है तो वह है विधानसभा स्तर पर. जैसाकी हमेशा होता रहा है, राजनैतिक दलों में स्वार्थी लोग प्रवेश कर जाते हैं और दाव-पेंच द्वारा निःस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे लोगों पर हावी होते जाते हैं. पार्टी के वरिष्ठ जन यह सोचकर उन्हें नहीं निकालते हैं की एक दिन वे सुधर जायेंगे लेकिन ऐसा होता नहीं और राजनैतिक दल को दलदल बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगता. इतिहास बताता है की इसी कारण से अन्य दल आज की स्थिति में पहुंचे हैं. क्या इससे हमें सबक नहीं लेना चाहिए ? वैसे भी जब आम जनता को हम जागरूक कर रहे हैं तो क्या वे हमारे साथी के रूप में दिख रहे उन भ्रष्ट और पद लोलुप व्यक्तियों पर ऊँगली नहीं उठाएंगे? ऐसे लोगों पर तुरंत कार्यवाही करके पार्टी से बाहर कर देना चाहिए ताकि कार्यकर्ताओ और आम जनता को पार्टी की विचारधारा के बारे में कथनी और करनी में भेद नजर न आये. इस बारे में मेरे द्वारा प्रयास भी हो रहा है. लेकिन ज्यादा निराशाजनक स्थिति नहीं है क्योंकि अधिकांश कार्यकर्त्ता पार्टी की विचारधारा को पूरी तरह स्वीकार करते है. यह अरविन्दजी की और उनके सिद्धांतों की सफलता है की जब भ्रष्ट कार्यकर्ताओ द्वारा गलत उद्देश्य से दो दिन पूर्व विकासपुरी विधानसभा में मीटिंग बुलाई थी तो सभी कार्यकर्ताओं ने ऐसी मीटिंग में जाने से साफ़ मना कर दिया. अरविन्दजी, बहुत-बहुत बधाई, जो जागरूकता आप लाना चाहते हैं उसे देखकर मेरे जैसे समाज सेवा से जुड़े लोग संतुष्ट हैं.
मेने यह भी देखा है की बवाना की जे जे कालोनी में कल जो तबाही हुई उसमे वहां के लोगों की मदद करने के लिए आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता पूरी दिल्ली से वहां पहुँचने लगे और राहत कार्य प्रारंभ कर दिया. यह द्रश्य बता रहा था की अरविन्दजी ने सफल होना शुरू कर दिया है जिसमें अन्य पार्टी बहुत पीछे रह गई है. साफ शब्दों में कहें तो दिल्ली अब दूर नहीं है. धन्यवाद अरविन्दजी और उनकी पूरी टीम, आप लोगों की महनत रंग ला रही है. लेकिन जो कमियां अभीभी रह गई हैं उसे कैसे दूर किया जाये? इसका तथ्यात्मक विष्लेषण मेरे अगले ब्लॉग में. — आप का सहयोगी
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